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Hindi Shayari on Bachpan
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम,
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम।
सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त,
बचपन वाला इतवार अब नहीं आता।
कदम दो चार चलता हूँ,
मुकद्दर रूठ जाता है,
हर इक उम्मीद से
रिश्ता हमारा टूट जाता है,
जमाने को सम्भालूँ गर
तो तुमसे दूर होता हूँ,
तेरा दामन सम्भालूँ तो,
जमाना छूट जाता है।
Hindi Shayari, Nigaaho Ke Takaaje
निगाहों के तक़ाज़े
चैन से मरने नहीं देते,
यहाँ मंज़र ही ऐसे हैं
कि दिल भरने नहीं देते,
क़लम मैं तो उठा कर
जाने कब का रख चुका होता,
मगर तुम हो कि क़िस्सा
मुख़्तसर करने नहीं देते।
जब मुझसे मोहब्बत ही नहीं तो रोकते क्यूँ हो?
तन्हाई में मेरे बारे में सोचते क्यूँ हो?
जब मंजिलें ही जुदा हैं तो जाने दो मुझे…
लौट के कब आओगे ये पूछते क्यूँ हो?
Pretty nice words:)