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Aangan Shayari in Hindi
मैं तुलसी तेरे आँगन की कोई नहीं मैं तेरे साजन की द्वार पड़े पड़े
तरस गई आज उमड़ कर बरस गई प्यासी बदली सावन की।
सुना है कि उसने खरीद लिया है करोड़ो का घर शहर में।
मगर आँगन दिखाने वो आज भी बच्चों को गाँव लाता है।।
उसे छत पर टंगे आलीशान झूमर पसंद थे।
और मेरा दिल किसी आँगन में जलते दीप का दीवाना था।
लाख गुलाब लगा लो अपने आंगन में सनम।
खुशबू और बहार तो हमारे आने से ही आएगी।
सूने आँगन की उदासी में इज़ाफ़ा हो गया।
चोंच में तिनके लिये जब फ़ाख़्ताये आ गयी।
चूम कर मेरी मुंडेर को,
मेरी दर ओ दीवार को जन्नत कर दे।
हैरान रह जाओगे मेरे दिल में,
अपना मुक़ाम देखकर।
कुछ खिलौने कभी आँगन में दिखाई देते,
काश, हम भी किसी बच्चे को मिठाई देते।
चूम कर मेरी मुंडेर को,
मेरी दर ओ दीवार को जन्नत कर दे।
जिनके आंगन में अमीरी का शज़र लगता है।
उनका हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है।
ऐ चाँद, ठहर कर किसी रात मेरे आंगन में,
मेरी रात मुकम्मल कर दे।
कभी वक़्त मिले तो रखना कदम,
मेरे दिल के आँगन में।
तुम्हारे बिना बड़ा सूना पड़ा है मेरा मन,
जैसे छोड़ गई हो बेटी बाबुल का आँगन।
ना मांगू मैं महल, ना बंगला ना कोठी।
जन्म मिले उस आंगन में जहाँ जले राधे की ज्योति।
नयनों के आँगन में
एक ख्वाब उगा कर देखे,
जिंदगी आसान नहीं है तो
मुश्किलों में खुद को आजमाकर देखे।
आँगन में आपके कभी खुशियाँ कम न हो,
आपको हम खूब तंग करे पर आपको गम न हो.
Aangan Status
जन्नत की महलों में हो महल आपका,
ख्वाबो की वादी में हो शहर आपका
ऐ चाँद, ठहर कर किसी रात मेरे आंगन में,
मेरी रात मुकम्मल कर दे
औरत से ही घर पावन है,
औरत से ही महकता आँगन है.
नींदो से नाता टूटा,
ख़्वाबों का आँगन छूटा,
सारा जहाँ लगे पराया
जब से तू मुझसे रूठा।
महक उठा है आँगन इस खबर से।
वो ख़ुश्बू लौट आयी है सफर से।
सितारो के आंगन में हो घर आपका,
दुआ है सबसे खूबसूरत हो हर दिन आपका।
कुछ खामोशियां गाढ़ गया था वो मेरे आँगन में।
इर्दगिर्द कुछ उगने लगा है मेरा खालीपन सूनापन।
तुलसी के पेड़ आँगन में मुरझाने लगे है,
जबसे घर के बच्चे मोबाइल चलाने लगे है.
आंगन शायरी
तेरे इश्क़ में भीगने का मन है जालीम।
मेरे दिल के आँगन में जारा जम के बरसना तूम।
प्यार के आंगन में इश्क की बारिश में कभी भीगे थे हम।
जो बुखार चढा कि आज तक उतरने का नाम नहीं लेता।
मेरे आँगन की चिड़िया है तू,
उस बाग़ का फूल बन जाना,
चहकती रही हर रिश्ते में यहाँ
अब वो आँगन भी महकाना।
दीवारे खिंचती है घर के आंगन मे भी।
इंसान कहीं भी समझौता नहीं करता।
रहती है छाँव क्यों मेरे आँगन में थोड़ी देर।
इस जुर्म पर पड़ोस का वो पेड़ कट गया।
जब मेरे गाँव से कोई मेहमान आया,
मेरे आँगन की खुशबू को साथ लाया।
लाख गुलाब लगा लो तुम अपने आँगन में।
जीवन में खुश्बू बेटी के आने से ही होगी।
गाँव सूना-सूना है और वीरान आँगन पड़ गया,
इंसान के ख्वाहिशों का कद कुछ इस तरह बढ़ गया.
उसे छत पर टंगे आलीशान झूमर पसंद थे।
और मेरा दिल किसी आँगन में जलते दीप का दीवाना था।